क्या आप जानते हैं... श्री मोती लाल नेहरु के परिवार को ?
मोती लाल नेहरु की एक धर्म पत्नी और चार अन्य अवैध पत्नियाँ थीं.
(1) श्रीमती स्वरुप कुमारी बक्शी (विवाहिता पत्नी) से दो संतानें थीं
A. श्रीमती कृष्णा w/o श्री जय सुख लाल हाथी (पूर्व राज्यपाल ).
B. श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित w/o श्री आर.एस.पंडित (पूर्व. राजदूत रूस)
(2)रहमान बाई - से श्री जवाहरलाल नेहरु -
प्रियदर्शिनी नेहरु उर्फ़ मैमूना बेगम उर्फ़ श्रीमती इंदिरा खान -w/o श्री फिरोज खान GHANDY
से. दो पुत्र एक संजय खान और राजीव खान
(3) श्रीमती मंजरी - से श्री मेहरअली सोख्ता (आर्य समाजी नेता ).
(4) ईरान की वेश्या - से मो.अली जिन्ना .
(5) नौकरानी (रसोइया )- से शेख अब्दुल्ला (कश्मीर के मुख्यमंत्री ).
पुत्र फारूक अब्दुल्ला
पुत्र उमर अब्दुल्ला
नोट:- एक घर से तीन प्रधानमन्त्री और चौथा राहुल को कांग्रेस बनाने जा रही है !
साभार - जॉन मथाईकी आत्मकथा से ( जवाहरलाल नेहरु के व्यक्तिगत सचिव ).
मोती लाल नेहरु की एक धर्म पत्नी और चार अन्य अवैध पत्नियाँ थीं.
(1) श्रीमती स्वरुप कुमारी बक्शी (विवाहिता पत्नी) से दो संतानें थीं
A. श्रीमती कृष्णा w/o श्री जय सुख लाल हाथी (पूर्व राज्यपाल ).
B. श्रीमती विजय लक्ष्मी पंडित w/o श्री आर.एस.पंडित (पूर्व. राजदूत रूस)
(2)रहमान बाई - से श्री जवाहरलाल नेहरु -
प्रियदर्शिनी नेहरु उर्फ़ मैमूना बेगम उर्फ़ श्रीमती इंदिरा खान -w/o श्री फिरोज खान GHANDY
से. दो पुत्र एक संजय खान और राजीव खान
(3) श्रीमती मंजरी - से श्री मेहरअली सोख्ता (आर्य समाजी नेता ).
(4) ईरान की वेश्या - से मो.अली जिन्ना .
(5) नौकरानी (रसोइया )- से शेख अब्दुल्ला (कश्मीर के मुख्यमंत्री ).
पुत्र फारूक अब्दुल्ला
पुत्र उमर अब्दुल्ला
नोट:- एक घर से तीन प्रधानमन्त्री और चौथा राहुल को कांग्रेस बनाने जा रही है !
साभार - जॉन मथाईकी आत्मकथा से ( जवाहरलाल नेहरु के व्यक्तिगत सचिव ).
श्री शांत प्रकाश जी द्वारा प्रस्तुत तथ्य अधिकतर भारतीयों को पता नहीं हैं | इस तरह की सच्चाई लोगों तक पहुंचना बहुत जरूरी है | यह बात समझ से परे है कि यह तथ्य अभी तक लोगों को पता क्यों नहीं चल पाए | खैर जब पता चले तभी अच्छा | धन्यवाद शांत प्रकाश जी | मैं यह जानकारी अब अपने बच्चों तथा आने वाली पीढी को अच्छी तरह बताऊंगा | लोगों को पता चलना चाहिए कि देश के लोगों को संस्कार देने वाले तथाकथित बड़े लोग खुद कितने संस्कारी थे ? लगता है आज़ादी के बाद सरकार द्वारा नियुक्त इतिहासकारों ने यह सब सच्ची जानकारियाँ जानबूझ कर छुपाई और वो सब बातें पुस्तकों में लिखी जो उस समय की सरकार को सही लगी | श्री जोन मथाई, जो उस समय सरकार में थे, ने भी यह सच्चाई अपनी पुस्तक में अनेकों वर्ष बीतने के बाद लिखी जो वर्षों बाद लोगों तक पंहुची, लेकिन सरकार में रहते हुए अपना मुंह बंद रखा | शायद उस समय के उनके सरकारी आकाओं का डर उनके ज़हन में होगा | इस से यह ज्ञात होता है कि उस समय के इतिहासकारों ने भी वही लिखा जो उस समय के सरकारी आकाओं को भाता था | यानी सरकार जो चाहती थी वही होता था | इसीलिये आजादी के बाद की पीढी को वही पढने को मिला जो सरकारी इतिहासकारों ने लिखा | एक बार फिर श्री शांत प्रकाश जी को छुपी हुयी सच्चाई को उजागर करने के लिए धन्यवाद |
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